ABOUT SAMAJ
लखारा समाज की उत्पत्ति :- लखारा जाति के उत्पन्न कर्ता शंकर भगवान एवं पार्वती जी है | भगवान ब्रह्माजी से गौतम ऋषि पैदा हुए | उनसे गहलोत गौत्र का उद्भव हुआ | जिनके प्रमुख्स राजा श्री स्वरुपराजजी हुए | उनके देवदत्त , उनके प्रेमराव , उनके जसादीत , उनके भागदीत उनके अक़दीत एवं उनके गहादीत उनके अर्द्धबुद्ध रातव वंश में कई पीढ़िया बीतने के पश्चात राहुशाह पैदा हुए जो भगवान शंकर के परम भक्त थे एवं धीर-वीर व सर्वगुण सम्पन्न राजा थे |
त्रेता युग में भगवान शंकर का विवाह पार्वती के साथ हुआ | विवाह के पश्चात पार्वती ने भगवान शंकर से कहा ” हमारे हाथ खली है, सुहाग का प्रतीक चूड़ा हमारे हाथ में पहना दो एवं वो चूड़ा लाख का बना हो ऐसी कामना पूरी करावे |” भगवान शंकर ने पार्वती की यह बात सुनकर अपने परम भक्त महाधर राहुल को आदेश दिया की पार्वती के हाथो में लाख की चूड़िया पहना दे | महाधर राहुल ने भगवान का आदेश सुनकर हॉ कर दी , परन्तु लाख की चूड़ियाँ कैसे बनाई जाए | महाधर राहुल सोच में पड़ गए की अब वह क्या करे ? भगवान शंकर महाधर राहुल के मन की शंका (बात) समझ गए की आदेश तो मैंने दे दिया मगर यह लाख आएगा कहा से, भगवान शंकर ने शिवपुरी में पीपल के वृक्ष पर लाख स्थापित की | जिसे महाधर राहुल ने प्राप्त कर बड़ी कुशलता से साधन जुटा कर लाख की चूड़ियाँ बनाकर माता पार्वती जी के हाथो में पहनाई | माता पार्वती ने प्रसन्न होकर वरदान दिया की आपकी जाति फले – फूले एवं चूड़ियाँ पहनाने के लिए महाधर राहुल को एक मुट्ठी जौ दे दिया | उसने सोचा की इस थोड़ी सी जौ का मैं क्या करू , इसकी रोटी भी नहीं बन सकती और उसने महाजन की दुकान पर जाकर साधारण जौ समजकर बदले में गेहू ले लिया | जौ के कुछ दाने महाजन को देते समय कपडे में अटके रह गए, वे हीरे बन गए | इस बात का जब माता पार्वती को पता चला तो उन्होंने महाधर राहुल से कहा की तुमने जौ महाजन को देकर गलत कार्य किया है | उसे अपनेर घर रखना चाहिए था, क्योंकि वे साधारण जौ नहीं बल्कि बहुमूल्य हीरे थे | खैर फिर भी तुम्हारी जाति में कभी कोई भूखा नहीं रहेगा, जाति उन्नति नहीं कर सकेगी और उनमे आपस में तकरार रहेगी | महाजन जाति जौ के कारण धनवान हो जायेगी | इसी कारण महाजन आजभी धनवान है | उस समय से ही लाख का कार्य आरम्भ हुआ | उस समय से विवाह के समय सुहागन औरते लाख की चूड़ियाँ पहनती है | विवाह के अवसर पर लख-डोडिया एवं कांकड़-डोरा बनाकर हाथ व पैरो में वर-वधु के बांधते है और प्रत्येक शादी- विवाह में लखारा को बुलाया जाट है और लाख पहनाने की रश्म पूरी करके दूल्हा व दुल्हन अमर सुहाग का वरदान हमारी जाति से ही प्राप्त करते है | इसके अलावा बच्चा जन्म लेने से पहले स्नान के समय शगुन रूपी लाख की चूड़ी व चूड़ा पहनना जरुरी समजकर उस लखारा जाति के आशीर्वाद प्राप्त करना आवश्यक समझा जाता है |
महाधर ने सर्वप्रथम लकहरा का कार्य किया अतः यह लखारा जाति के प्रथम प्रवर्तक पुरुष हुए और संसार में लाखर का कार्य आरम्भ हुआ | हाट में लखारा जाति के लोग कार्य करते थे , इस कारण हॉटडिया गौत्र से पुकारे जाने लगे | श्री महाधर राहुल राजा ने अपने पूर्वज श्री गौतम ऋषि जो गोदावरी तट पर तपस्या कर रहे थे | उसने विनय पूर्वक प्रार्थना की कि मैंने भगवान शंकर के आदेश के अनुसार राजर्षि वेश- भूषा एवं हथियार का त्याग कर लाख का कार्य आरम्भ किया है | अब मेरी लखारा जाति प्रथानक हो गयी है , अब मुझे क्या करना चाहिए जिससे मेरी जाति ली वृद्धि हो और उनका वैभव फैले | श्री गौतम ऋषि ने महाधर से कहा कि हे वत्स ! तुम एक यज्ञ करो और उसमे सभी क्षत्रियो को निमंत्रण देकर बुलाओ और सबके सामने यह वार्ता रखो |
श्री गौतम ऋषि के आदेशानुसार महाधर राहुल ने एक यज्ञ का आयोजन किया और उसमे सभी क्षत्रियो को आमंत्रित किया गया | सभी क्षत्रिय यज्ञ में एकत्रित हुए | तब महाधर राहुल ने सभी क्षत्रियो के सामने आरम्भ से लेकर अन्त तक कि वार्ता का उल्लेख किया | जिन- जिन क्षत्रियो ने राजर्षि वेश-भूषा एवं हथियार त्याग कर अपना मत प्रकट किया वाही से लखारा जाति कि उत्पत्ति हुई एवं सभी लखारा कहलाये और जिन्होंने राजर्षि वेश-भूषा एवं हथियार नहीं त्यागे वे सभी राजपूत कहलाये | यह यज्ञ समारोह में 36 वंश के क्षत्रिय शामिल हुए थे, तब से लखारा जाति के 36 पौत्र एवं अन्य 16 खांप (शाखाएं) कुल 52 प्रवर्तक बने | इस प्रकार लखारा जाति कि उत्पत्ति क्षत्रिय वंश से मानी गई है |
Sandeep lakhera
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